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विशेषण की परिभाषा, भेद और उदहारण

 

आज के पोस्ट में हम आपको हिंदी व्याकरण के अध्याय विशेषण के बारे में संपूर्ण जानकारी -  विशेषण की परिभाषा, भेद और उदहारण प्रदान करेंगे


 

इससे पहले की पोस्ट में हमने आपको हिंदी व्याकरण के संज्ञा और सर्वनाम अध्याय की जानकारी दी थी , विशेषण को अच्छे से समझने के लिए उन्हें भी पढ़े



    विशेषण किसे कहते है?

    जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता, रंग, परिमाण और संख्या बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं।

     

    सरल शब्दों में, विशेषण का अर्थ होता है जो शब्द किसी की विशेषता बताएं।

    विशेषण एक विकारी शब्द है, जो हर हालात में संज्ञा सर्वनाम की विशेषता बताता है।

     

    जिन शब्दों (संज्ञा या सर्वनाम) की विशेषता बताई जाती है उन्हें विशेष्य कहते हैं।



    उदाहरण : 

    मोटा लड़का हंस पड़ा।

    इस उदाहरण में लड़का संज्ञा शब्द है और उसकी विशेषता बताई जा रही है। इसलिए "लड़का" विशेष्य है और "मोटा" विशेषण है।



    वीर अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ा।

    इस उदाहरण में अभिमन्यु संज्ञा शब्द है और उसकी विशेषता वीर होना बताई जा रही है। इसलिए "अभिमन्यु" विशेष्य है और "वीर" विशेषण है।



     

    विशेषण के कितने भेद होते हैं?

    गुण, संख्या और परिणाम के आधार पर विशेषण के चार भेद होते हैं, जो निम्न प्रकार है:

     

    1. सार्वनामिक विशेषण: विशेषण के रूप में प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं, परंतु पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम (मैं, तो, वह, आप, इन्हें, उन्हें, इससे, हमने, मेरा इत्यादि) इसके अंतर्गत नहीं आते हैं।



    व्युत्पत्ति के आधार पर सर्वनामिक विशेषण को दो भागों में बांटा गया है:

    • मौलिक सार्वनामिक विशेषण
    • योगिक सार्वनामिक विशेषण



    मौलिक सार्वनामिक विशेषण: जो सर्वनाम बिना रूप बदले अपने मौलिक रूप में संज्ञा के पहले आकर उसकी विशेषता बताते हैं।



    उदाहरण:

     यह घर मेरा है।

    इस उदाहरण में "घर" संज्ञा है और "यह" शब्द सुनिश्चित करता है कि वह किसका घर है।



    वह लड़का किधर जा रहा है।

    कोई व्यक्ति रो रहा है।

    इसी प्रकार अन्य दो उदाहरणों  में सर्वनाम शब्द "वह", "कोई" संज्ञा के पहले आकर उसकी विशेषता बता रहे हैं।



    योगिक सार्वनामिक विशेषण: जो सर्वनाम रूपांतरित होकर संज्ञा शब्दों की विशेषता बतलाते हैं।

    जैसा देश वैसा भेष।

    कैसा घर चाहिए?



    2. गुणवाचक विशेषण: जो शब्द संज्ञा व सर्वनाम के गुण, धर्म, दशा, भाव आदि का ज्ञान कराते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।


    गुणवाचक विशेषण के मुख्य रूप इस प्रकार से हैं:

    काल- नया, पुराना, प्राचीन, अगला, पिछला, टिकाऊ, आगामी, भूत, भविष्य, वर्तमान


    स्थान- उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, ऊपरी, सतह, पूर्वी, दायाँ,बायाँ, देशीय, क्षेत्रीय, पंजाबी, भारतीय


    आकार- गोल, चकोर, तिकोना, लंबा, सुंदर, नुकीला, चौड़ा, सीधा, तिरछा


    रंग- लाल, पीला, हरा, नीला, सफेद, गुलाबी, काला, बैंगनी, भूरा, सुनहरा चमकीला, धुंधला, फीका, नारंगी 


    दशा- दुबला, पतला, मोटा, भारी, गीला, सूखा, घना, गरीब, अमीर, पालतू रोगी, युवा, वृद्ध



    गुण- भला, बुरा, उचित, अनुचित, सच्चा, झूठा, बुरा, कपटी, पापी, दानी, दुष्ट, सीधा, शांत


    द्रष्टव्य- बड़ा-सा, ऊंची-सी, पीला-सा, छोटी-सी, पतला-सा, मोटा-सा

    (गुणवाचक विशेषण में सा या सी शब्द जोड़कर द्रष्टव्य प्रकार बनता है।)



    3. संख्यावाचक- जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान होता है उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।



    उदाहरण: 

    चार घोड़े दौड़ रहे हैं।

    इस वाक्य में "घोड़े" संज्ञा है और यहां पर इनकी संख्या "चार" बताई गई है इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है।



    संख्यावाचक विशेषण के दो प्रकार हैं: 

    निश्चित संख्यावाचक- जिन शब्दों से वस्तु की निश्चित संख्या का बोध होता है।

    निश्चित संख्यावाचक विशेषण को प्रयोग के अनुसार निम्न भागों में विभक्त किया जाता है:


    गणनावाचक विशेषण: एक, दो, चार, सात आदि

    क्रमवाचक विशेषण:  पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, दसवां आदि

    आवृत्तिवाचक विशेषण : दोगुना, तिगुना, चौगुना आदि

    समुदायवाचक विशेषण : दोनों, तीनों, चारों, आठो आदि

    प्रत्येकबोधक विशेषण : प्रत्येक, हर-एक, दो-दो, सवा-सवा आदि



    अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण- जिन शब्दों से वस्तु की निश्चित संख्या का बोध नहीं होता है। जैसे- कुछ चीनी दो 

    4. परिमाण बोधक विशेषण: जिन विशेषणों से संज्ञा तथा सर्वनाम के परिमाण का पता चलता है, उन्हें परिमाणबोधक विशेषण कहते हैं। 

    यह विशेषण किसी वस्तु की नाप या तोल का बोध कराता हैं।


    उदाहरण: 

     थोड़ा पानी पीने को दो।

    इस उदाहरण में पानी की मात्रा ( थोड़ा ) का बोध कराया गया है।



    परिमाण बोधक विशेषण के दो भेद हैं:

    निश्चित परिमाण बोधक विशेषण: इसके द्वारा वस्तु के निश्चित परिमाण का बोध होता है।

    उदाहरण:

    दस किलो घी खरीद लो।

    दुकान में दो क्विंटल गेहूं रख लो।

    इन उदाहरणों में घी और गेहूं की निश्चित मात्रा  दस और दो का बोध होता है।



    अनिश्चित परिमाण बोधक विशेषण: इसके द्वारा वस्तु के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता है।

    उदाहरण: 

    मेरी कटोरी में बहुत घी है।

    मुझे सब धन चाहिए।

    उपर्युक्त उदाहरणों में हमें वस्तु के निश्चित मात्रा का बोध नहीं होता है।

     

    प्रविशेषण किसे कहते है?

    कुछ विशेषणो के भी विशेषण होते हैं, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं।


    सरल शब्दों में, जो विशेषण की विशेषता बताते हैं वह प्रविशेषण कहलाते हैं।

    उदाहरण : 

    वह बहुत तेज दौड़ता है।

    इस उदाहरण में "तेज" विशेषण है और विशेषण की विशेषता बताने वाला शब्द "बहुत" प्रविशेषण है।



    सरोज अत्यंत सुंदर है।

    इस उदाहरण में "सुंदर" विशेषण है और सुंदर की विशेषता बताने वाला शब्द "अत्यंत" प्रविशेषण है।



    परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अंतर

    परिमाणवाचक विशेषण ऐसी संज्ञाओ की संख्या का ज्ञान कराते हैं जिनकी गिनती नहीं की जा सकती, जैसे आटा, घी, तेल आदि।



    संख्यावाचक विशेषण ऐसी संज्ञाओ की संख्या का ज्ञान कराता है जिनकी गिनती की जा सकती है। जैसे आम, पुस्तक, पेंसिल, रबड़ आदि।



    विशेषण और विशेष्य में संबंध

    विशेषण का प्रयोग वाक्य में दो प्रकार से होता है:

    विशेषण का प्रयोग कभी विशेष्य के पहले किया जाता है और कभी विशेष्य के बाद किया जाता है।


    विशेषण के प्रयोग की दृष्टि के आधार पर दो भेद बताये गए है:

     

    विशेष्य विशेषण: जो विशेष्य के पूर्व आए वह विशेष्य विशेषण कहलाते हैं, जैसे

    रोहन चंचल बालक है।

    प्रज्ञा संस्कारी कन्या है।

    "बालक" और "कन्या" विशेष्य (संज्ञा ) है इनके पहले आए शब्द "चंचल" और "सुशील" शब्द विशेषण हैं। 



    विधेय विशेषण: जब विशेषण, विशेषण और क्रिया के बीच में प्रयोग होते हैं तो उसे विधेय विशेषण कहते हैं। जैसे

    वह लड़का आलसी है।

    मेरा कुरता लाल है।

    इन वाक्यों में "आलसी" और "लाल" विशेषण है जो "लड़का" और "कुरता" के बाद प्रयोग किए गए हैं।



    यहां पर अन्य बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:-


    1. विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुरूप ही होते है चाहे विशेषण विशेष्य के पहले प्रयोग हो या अंत में। जैसेः

    श्याम भला लड़का है। 

    मेरी कलम  नीली है।


    2. अगर एक विशेषण के अनेक विशेष्य हो तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार ही होंगे। जैसे नया कुर्ता और पजामा, नयी धोती और कुर्ता

     



    विशेषणो की रचना

    1. विशेषण विकारी और अविकारी दोनों होते हैं। अविकारी विशेषणो के रूपों में परिवर्तन नहीं होता है वह सदा अपने मूल रूप में ही रहते हैं। जैसे लाल, सुंदर, चंचल, गोल, भारी आदि।

    2. कुछ विशेषण संख्याओं में प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं जैसे:

    प्रत्यय

    संज्ञा

    विशेषण

    इक

    धर्म

    धार्मिक

    ईय

    जाति

    जातीय

    वान

    दया

    दयावान

    धन

    धनी


    3. दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर भी विशेषण बनाए जाते हैं जैसे चलता-फिरता, टेढा-मेढा आदि।

    4. आकारांत विशेषण वह होते हैं जिनके अंत में "अ" अक्षर होता है, इन्हें लिंग, वचन और कारक के अनुसार बदलकर "ए" या "ई" कर दिया जाता है। जैसे:

    काला - काली 

    बड़ा - बड़ी 

    ऐसे - ऐसी


    5. सार्वनामिक विशेषण भी वचन और कारक के अनुसार बदलते हैं जैसे :



       एकवचन           बहुवचन

     

       वह लड़का                      वे लड़के 

           उस लड़की का         उन लड़कियों का



    तुलनात्मक विशेषण किसे कहते है?


    जिन शब्दों से संज्ञा शब्दों की तुलना की जाती है वह तुलनात्मक विशेषण कहलाते हैं। तुलना की दृष्टि से विशेषण की निम्नलिखित तीन अवस्थाएं होती हैं-

    1. मूलावस्था: इसमें विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है वह सामान्य रूप में प्रकट होता है अर्थात किसी विशेषण के गुण व दोष की तुलना दूसरी वस्तु से नहीं की जाती है जैसे

     घी शुद्ध है।

     गंगाजल पवित्र होता है।



    2. उत्तरावस्था: इसमें विशेषण दो वस्तुओं की तुलना में होता है और उनमें किसी एक वस्तु के गुण व दोष कम या अधिक का ज्ञान कराते हैं जैसे:

    देवकीनंदन श्याम से अधिक चतुर है।

    दिव्या सीमा से अधिक सुंदर है।



    3. उत्तमावस्था: इसमें दो अथवा दो से अधिक वस्तुओं, प्राणियों की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा कम बताया जाता है जैसे:

    विदुषी सबसे सुंदर कन्या है ।

    नागराज विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत है।

     

    विशेषण की अवस्थाओं के रूप


    मूलाव्स्था

    उत्तरावस्था

    उत्तमावस्था

    उच्च

    उच्चतर

    उच्चतम

    उत्कृष्ट

    उत्कृष्टतर

    उत्कृष्टतम

    कठोर

    कठोरतर

    कठोरतम

    कुटिल

    कुटिलतर

    कुटिलतम

    गुरु

    गुरुतर

    गुरुतम

    निकट

    निकटतर

    निकटतम

    विशाल

    विशालतर

    विशालतम

    लघु

    लघुतर

    लघुतम

    महान

    महत्तर

    महत्तम

    सुन्दर

    सुन्दरतर

    सुन्दरतम

    चतुर

    अधिक चतुर

    सबसे अधिक चतुर

    तीव्र

    तीव्रतर

    तीव्रतम

     

     



    विशेषण का पद परिचय

    वाक्य में विशेषण पदों का पद परिचय करते समय उसका स्वरूप- भेद,लिंग ,वचन, कारक व विशेष्य बताया जाता है। जैसे 

    काला कुत्ता मर गया।


    काला- विशेषण, गुणवाचक, रंग बोधक, पुल्लिंग, एकवचन

    कुत्ता- विशेष्य




    मुझे थोड़ी बहुत जानकारी है।


    थोड़ी बहुत- विशेषण, अनिश्चित संख्यावाचक, स्त्रीलिंग ,कर्मवाचक

    जानकारी - विशेष्य

     

     

    विशेषणों की रचना

     

    कुछ शब्द अपने मूल रूप में ही विशेषण होते है, परन्तु कुछ की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और अव्यय शब्दों से की जाती है

     

     संज्ञा से विशेषण:


    प्रत्यय

    संज्ञा शब्द

    विशेषण शब्द

    देख

    देखा

    भूल

    भूला

    भटक

    भटका

    प्यार

    प्यारा

    भूख

    भूखा

    प्यास

    प्यासा

    अव

    शिव

    शैव

    पांडु

    पांडव

    केश

    केशव

    अक्कड़

    भूल

    भुलक्कड़

    घूम

    घुमक्कड़

    पान

    पियक्कड़

    इल

    फेन

    फेनिल

    जटा

    जटिल

    स्वप्न

    स्वप्निल

    पंक

    पंकिल

    इम

    आदि

    आदिम

    स्वर्ण

    स्वर्णिम

    इर

    रूचि

    रुचिर

    मद

    मदिर

    शहर

    शहरी

    रोग

    रोगी

    देश

    देशी

    इक

    परिवार

    पारिवारिक

    समाज

    सामाजिक

    देव

    दैविक

    पक्ष

    पाक्षिक

    संकेत

    सांकेतिक

    अलंकार

    अलंकारिक

    धर्म

    धार्मिक

    वर्ष

    वार्षिक

    अंश

    आंशिक

    विचार

    वैचारिक

    एरा

    लूट

    लुटेरा

    चाचा

    चचेरा

    साँप

    सँपेरा

    ग्रस्त

    शोक

    शोक्ग्रस्त

    पाप

    पापग्रस्त

    रोग

    रोगग्रस्त

    दायक

    कष्ट

    कष्टदायक

    सुख

    सुखदायक

    फल

    फलदायक

    मान

    गति

    गतिमान

    आयु

    आयुष्मान

    श्री

    श्रीमान

    वाला

    पान

    पानवाला

    दूध

    दूधवाला

    फल

    फलवाला

    तेल

    तेलवाला

    वी

    तपस

    तपस्वी

    तेजस

    तेजस्वी

    ओजस

    ओजस्वी

    निष्ठ

    सत्य

    सत्यनिष्ठ

    धर्म

    धर्मनिष्ठ

    स्थ

    समीप

    समीपस्थ

    शरीर

    शरीरस्थ

    वती

    गुण

    गुणवती

    पुत्र

    पुत्रवती

    बल

    बलवती

    सत्य

    सत्यवती

    मती

    रूप

    रूपमती

    वीर

    वीरवती


    सर्वनाम से विशेषण:

    सर्वनाम

    विशेषण

    वह

    वैसा

    मैं

    मुझसा

    यह

    ऐसा

    आप

    आपसी

    जो

    जैसा

    कौन

    कैसा

    तुम

    तुमसा

    हम

    हमसा

     

     क्रिया से विशेषण:

    क्रिया

    विशेषण

    उड़ना

    उड़ाका

    टिकना

    टिकाऊ

    बेचना

    बिकाऊ

    खाना

    खाऊ

    मरना

    मरियल

    दिखना

    दिखाऊ

    सड़ना

    सड़ियल

     

     अव्यय से विशेषण:

    अव्यय

    विशेषण

    ऊपर

    ऊपरी

    बाहर

    बाहरी

    नीचे

    निचला

    सतह

    सतही

    भीतर

    भीतरी

    पीछे

    पिछला

     

    उम्मीद करते है आपको विशेषण  की परिभाषा, भेद और उदहारण की जानकारी पसंद आई होगी  और इससे आपको मदद  मिली होगी अगर आपके पास विशेषण से सम्बंधित कोई प्रश्न हो तो आप हमे Comment करे

     

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